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📜 परिचय
पावन पुण्य सरिला क्षिप्रा के तट पर बसे हुए उज्जैन शहर जिसकी गणना भारतवर्ष के महत्वपूर्ण धार्मिक तीर्थों में…
उज्जैन में प्रतिवर्ष आयोजित होने वाले अखिल भारतीय कालिदास समारोह के साथ वर्ष 2001 से “हाथकरघा एवं हस्तशिल्प मेला” का निरंतर आयोजन किया जा रहा है…
🎯 हाथकरघा एवं हस्तशिल्प मेले का उद्देश्य
1. कालिदास की कृतियों और परंपराओं को जीवित रखना।
2. देशभर के कलाकारों के उत्कृष्ट शिल्पों का प्रदर्शन और प्रसार।
3. शिल्पियों की विपणन समस्याओं का समाधान।
4. आर्थिक रूप से कमजोर बुनकरों को प्रोत्साहन।
5. शिल्पियों को नागरिकों एवं राष्ट्रीय दर्शकों से जोड़ना।
6. रोजगार और विपणन के अवसर प्रदान करना।
🌟 मेले का महत्व
उज्जैन की धार्मिक और सांस्कृतिक परंपराओं को जीवित रखने में यह मेला अत्यंत महत्वपूर्ण है…
देशभर के शिल्पियों को अपनी कला प्रदर्शित करने का अवसर मिलता है और जनता को भारतीय सांस्कृतिक वैभव का साक्षात्कार।
🎪 मेले की प्रमुख गतिविधियाँ
1. शिल्पियों द्वारा उत्पाद प्रदर्शन व विक्रय।
2. लोक कलाकारों द्वारा नृत्य एवं गीत।
3. जनकल्याणकारी योजनाओं की प्रदर्शनी।
4. ग्रामीण थीम आधारित सज्जा।
5. बच्चों के मनोरंजन हेतु झूले।
6. सुरक्षा बीमा व्यवस्था।
7. विभिन्न राज्यों के व्यंजन स्टॉल।
📈 विगत वर्षों की प्रगति
वर्ष 2001 से मेला निरंतर आयोजित किया जा रहा है…
देशभर के शिल्पियों — चंदेरी, भेरवगढ़, महेश्वरी, लाख, टेराकोटा, कोसा सिल्क, काष्ट शिल्प आदि का विशाल प्रदर्शन…
प्रतिवर्ष 120–200 लाख तक का विक्रय और 20–24 लाख रु. व्यय।
